कहां मर गए गौरक्षक एवं हिन्दू संगठन

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जामझिरी की वृंदावन गौशाला में में भूखी प्यासी गौमाता को पिस्सू और कौवे नोंच खा रहे
भैसदेही(बैतूल), हिंदू संस्कृति में वृन्दावन को गायों आश्रय स्थल कहा जाता है। यहां पर ऐसी गायों के लिए एक सुरक्षित और पोषण वातावरण प्रदान करना है जो अब दूध देने या काम करने में सक्षम नहीं हैं, साथ ही उन गायों के लिए एक सुरक्षित और पोषण वातावरण प्रदान करना है लेकिन बैतूल जिले की एक मात्र शासन द्वारा संचालित एवं शासकीय अनुदान प्राप्त वृन्दावन गौशाला जामझिरी अपने मूल ध्येय से भटकी नजर आ रही है। प्रदेश के गौपालक एवं गौरक्षक कहे जाने वाले संवेदनशील मुख्यमंत्री डां मोहन यादव के राज एंव काज में मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड द्वारा संचालित बैतूल जिले की भैसदेही तहसील एवं जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत जामझिरी की वृन्दावन गौशाला में वर्तमान में 9 गाय भूखी – प्यासी तथा तिल – तिल कर अपने मरने की बारी का इंतजार कर रही है। बैतूल जिले में चन्द्रपुत्री पूर्णा नदी के किनारे बसे पौराणिक एवं धार्मिक महत्व के एतिहासिक नगरी महिषमति जो कि भैसदेही कहलाता है उससे पांच किमी की दूरी पर आदिवासी बाहुल्य गांव जामझिरी में वृन्दावन गौशाला निर्माण का निमार्ण ग्राम पंचायत जामझिरी द्वारा 21 अगस्त 2019 में करवाया गया था। गौशाला के निमार्ण में पंचायत एजेंसी ने लगभग 27 लाख 71 हजार 914 रूपये खर्च कर डाले। वृन्दावन गौशाला का कुल रकबा लगभग एक एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वर्तमान में इस गौशाला में 9 सभी गाये जिदंगी और मौत से लड़ाई लड़ रही है। इन गायो को चारा – पानी तो दूर इनकी ओर देखने वाला भी कोई नहीं है जिसके कारण गायो को या तो कीडे (जानवरो के शरीर को चट कर खा जाने कीड़े) खा रहे या फिर इनके शरीर को कौवे चोंच मार – मार कर मार डाल रहे है। अभी तक लगभग 70 से 80 गायो की अकाल मौते हो जाने के बाद भी स्थानीय पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक ने कोई खोज खबर ली। कुछ महीने पहले यहां पर लगभग सौ गायो को पुलिस – प्रशासन द्वारा विभिन्न गौवंश तस्करो से छुड़ा कर पहुंचाया गया था लेकिन स्वंय पुलिस प्रशासन भी गौ तस्करो से जप्त गायो एवं अन्य जानवरो को यहां पर पहुंचाने के बाद उनकी खोज खबर लेने नहीं पहुंचा।

गौ शााला के करीब रहने वालो ने बताया कि पूर्व सरपंच अशोक उइके के कार्यकाल में जो गायो की सुध ली जाती थी अब वह नहीं ली जा रही है जिसका नतीजा यह सामने आया कि वर्तमान सरपंच श्रीमती चन्द्रकला गुणवंतराव उइके जबसे प्रभार में है तबसे गायो की पुछ परख बंद हो गई और वर्तमान समय चौकीदार के भरोसे गौशाला चल रही है। पंचायत सचिव फूलचंद राठौर के अनुसार मध्यप्रदेश शासन के गौ सवंर्धन बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष में पशुओ के चारा के लिए मात्र 18 हजार रूपये का वार्षिक अनुदान दिया गया था। पूरी गौ शाला 3 हजार रूपये महीने से चौकीदारी करने वाले चौकीदार के भरोसे चल रही है जो उस गौशाला में आता भी नहीं है। वर्तमान समय में जब बैतूल जिले के कुछ पत्रकार वहां से गुजरे तो उन्हे भूखी – प्यासी गायो की चीख – पुकार सुनने को मिली जहां पर पहुंचने के बाद पता चला कि ग्राम पंचायत जामझिरी जो कि भैसदेही नगर पालिका एवं जनपद तथा अनुविभाग मुख्यालय से मात्र 5 किमी दूर पर स्थित है वहां की स्थिति काफी लज्जाजनक देखने को मिली। गौ शाला की गायो के पीने के टाके एवं भूसा के टाके खाली पड़े थे। इस समय लगभग वहां पर मौजूद 9 गायो के शरीर पर कौवों की चोंच के निशान एवं कीड़े रेंगते हुए दिखाई पड़े। ग्राम पंचायत के सचिव फूलचंद राठौर से जब चर्चा करनी चाही तो उसने बातचीत करना उचित नहीं समझा। ग्राम पंचायत जामझिरी में मौजूद वृन्दावन गौशाला के बारे में सनसनी खेज खबर यह सामने आई है कि भैसदेही अनुविभाग में अब तक गौवंश के तस्करो से पकड़े गए जानवर शासकीय रिकार्ड में वृन्दावन गौ शाला पहुंचने के बाद वहां से गाडिय़ो में भर – भर जानवरो को गौवंश के तस्कर गौ शाला के चौकीदार एवं पंचायत विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियो की मदद से ले जाते है। गौवंश के तस्करो से मुक्तजानवरो के पुन: गौवंश के तस्करो के पास पहुंचने का यह कोई पहला मामला नहीं है। ऐसा बैतूल जिले में आम बात है और इस काम में बैतूल जिले की सत्तापक्ष एवं विपक्ष की राजनीति के बेताज बादशाह एवं तथाकथित गौरक्षको का भी इन लोगो को संरक्षण प्राप्त है। बैतूल जिले मे भाजपा शासन की नगर पालिकाए और जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायत तक हैद्ध जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर जिले के पांचो विधायक एवं एक मात्र आदिवासी सासंद तक भाजपा से चुनाव जीते है लेकिन गांव वाले बताते है कि इन गायो को चारा डालना तो दूर इनकी पुछ परख करने के लिए कोई आज तक इस गौशाला की दहलीज तक नहीं पहुंचा। जिले में सैकड़ो की संख्या में तथाकथित गौरक्षक एवं हिन्दु संगठन होने के बाद भी यदि जामझिरी स्थित वृन्दावन गौशाला की गाये भूखी – प्यासी मर रही है तो ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भाजपा के शासन में न तो माय सुरक्षित है और न गाय सुरक्षित है।

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