बैतूलबाजार में आयोजित की जा रही श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन उमड़े भक्त
शिव कथा में मन लगाओगे तो माया रूपी ताला खुल जाएगा। इससे अापका जीवन हमेशा सुखमय रहेगा। यह बात आचार्य पवन पाठक महाराज ने बैतूलबाजार के चौकीपुरा में आयोजित की जा रही संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन कही। सोमवार को सुबह कथा स्थल पर बड़ी संख्या में भक्तों के द्वारा पार्थिव शिवलिंग बनाए और आचार्य द्वारा विधि विधान से पूजन कराया गया। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का दिव्य अभिषेक कराया गया।
वृंदावन से आए आचार्य पवन पाठक ने भक्ताें को शिव कथा का महत्व समझाते हुए कहा कि मनुष्य को बर्बाद होने के लिए छह लक्षणों से हमेशा दूर रहना चाहिए। पहला आवश्यकता से ज्यादा नींद आना है।यदि वह अधिक समय तक सोता ही रहेगा तो वह प्रभु की भक्ति कैसे करेगा।दूसरा है तद्रा, यानि जो सोने का नाटक करता रहता हो। क्योंकि हम सोते हुए को तो जगा सकते हैं लेकिन जो नाटक कर रहा हो उसे कैसे उठा पाएंगे। इसी कारण से सभी को इस लक्षण को अपने आसपास भी भटकने नहीं देना चाहिए। आचार्य ने तीसरा लक्षण क्रोध को बताते हुए कहा कि जो भी अधिक क्रोध करेगा वह कभी भक्ति में आगे नहीं बढ़ पाएगा।चौथा लक्षण भय है, किसी भी बात का हमेशा डर बना रहना भी बर्बादी का कारण बन सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि यदि आप शिव भक्त हो जाएंगे तो आपको किसी भी बात का कोई डर ही नहीं रहेगा। इसी कारण से कहा गया है कि जिसका रखवाला राम, उसे कोई मार नहीं सकता, प्रभु जगन्नाथ का दास कभी किसी से हार नहीं सकता।
पांचवां कारण आलस्य है। जो किसी भी काम के लिए अालस्य करता है वह प्रभु की भक्ति में भी आलस्य ही करेगा। ऐसे में उस पर प्रभु की कृपा नहीं होगी और वह बर्बाद होने लगेगा। छटवां कारण है किसी भी काम को टालते रहना। यदि आप आज का काम कल पर टालेंगे तो वह कभी पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में प्रभु की आराधना करने के लिए कभी समय ही नहीं मिलेगा। इन सभी बातों को अपने मन से दूर करें और पुरूषार्थी बनें। आचार्य पवन पाठक ने भक्तों को बताया कि यदि किसी के मन में इन छह लक्षण में से कोई एक भी आ गया है तो उसे दूर करने का सिर्फ एक ही उपाय है शिव कथा। हमेशा प्रयास करें कि शिवकथा को सुनें और इन लक्षणों से मुक्ति पाएं। शिव कथा में कहा गया है कि जो सब कुछ भगवान के उपर छोड़ देता है, भगवान उसकी सदैव रक्षा करते हैं। जो भगवान भोलेनाथ की कथा से अवगुण से मुक्ति मिल जाती है। कथा श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त प्रतिदिन दोपहर तीन बजे से पांच बजे तक पहुंच रहे हैं।