दिल्ली में गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ताओं ने भरी हुंकार
बैतूल। अक्षय तृतीया शादी विवाह के लिए एक शुभ तिथि मानी जाती है। इस तिथि पर बाल विवाह होने की बड़ी संभावनाएं होती है। इस स्तिथि को देखते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान से जुड़े विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सामुदायिक कार्यकर्ता राजधानी नई दिल्ली में जुटे और इस दौर में ग्रामीण क्षेत्र व बस्तियों में होने वाले बाल विवाह को रोकने की रणनीति पर चर्चा की। इस तरह की कार्यशालाओं की अहमियत को रेखांकित करते हुए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं लेखक भुवन ऋभू ने कहा कि भारत 2030 तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी ) को हासिल करने की ओर अग्रसर है। देश में बाल विवाह की ऊंची दर वाले इलाकों में पिछले 1 वर्ष में गैर शासकीय संगठनों और सरकारों के प्रयास ने जो गति पकड़ी है उसे मजबूती और विस्तार देने की आवश्यकता है। बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में अगले एक माह महत्वपूर्ण है, इसमें समुदायों पंचायत गैर सरकारी संगठनों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। इस अक्षय तृतीया पर किसी बच्चे का बाल विवाह नही हो ऐसी रणनीति बनाई जाए। उन्होने आगे कहा बाल विवाह एक वैश्विक समस्या है लेकिन दुनिया के किसी भी देश के एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतियों और क्रियान्वयन के स्तर पर उतनी तरक्की नही की है। जितनी भारत ने की है सच कहे तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की असली सफलता बाल विवाह के खात्मे में है। भुवन ऋभु ने हाल ही में आई अपनी बेस्ट सेलर किताब व्हेन व्हेन चिल्ड्रेन टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मेरिट में 2030 तक बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक मुकाम तक पहुचने के लिए एक ठोस रणनीतिक खाका पेश किया है। इस किताब में सुझाई गई रणनीतियों को देश भर के नागरिक समाज संगठनों ने भी अंगीकार किया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2019 से 21 के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 से 24 आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले हो गया था। कार्यशाला को इंडिया चाइल्ड प्रोटक्शन फंड के ट्रस्टी राजीव भारद्वाज ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में विभिन्न राज्यों से आए सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं, कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं कम्युनिस्ट सोशल वर्कर ने बाल विवाह की रोकथाम में आ रही चुनौतियों के बारे में एक दूसरे से अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञ और रणनीतिकारों ने अक्षय तृतीया के दौरान बाल विवाह को रोकने पर विस्तार से मंथन किया। गैर सरकारी संगठन के निदेशकों ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं बाल विवाह की रोकथाम के लिए सहायक सिद्ध होगी। कार्यशाला में बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यकर्ताओं को अदालत से निषेधाज्ञा आदेश लाने, प्रत्येक गांव का जनसांख्यिकीय अध्ययन और बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील परिवारों की पहचान, धार्मिक स्थलों के सामने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता का संदेश देने वाले पोस्टर लगाने की जानकारी दी।