अधिकांश सीटों पर है आदिवासी मतदाता का प्रभाव
भोपाल। प्रदेश में 19 अप्रैल को होने वाले छह संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान में आदिवासी वर्ग का मतदाता अह्म भूमिका का निर्वाह करेगा। खासकर छिंदवाड़ा, बालाघाट, शहडोल, मंडला, सीधी संसदीय सीटों पर इस वर्ग का मतदाता निर्णायक भूमिका में रहेगा। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने इन मतदाताओं को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
प्रदेश में पहले चरण में महाकौशल और विंध्य की छह सीटों छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, शहडोल, जबलपुर और सीधी के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है। इन सभी लोकसभा सीटों पर आदिवासी वर्ग का खासा दबदबा है। इन सीटों पर इस वर्ग के मतदाता हमेशा ही परिणामों को प्रभावित करते रहे हैं। इन मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए दोनों ही दलों भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज सक्रिय भी रहे हैं। इसके अलावा इस वर्ग के प्रभावशाली नेताओं की सक्रियता भी चुनावों में रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की ओर से अब तक इन क्षेत्रों में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी की सभाओं में भी यह आदिवासी वर्ग को फोकस करते हुए अपनी बात कही है। आदिवासियों को लुभाने के लिए भाजपा, कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं न केवल अपनी पार्टी द्वारा किए गए जनजातीय कल्याण के कार्य गिनाए, बल्कि विरोधी पार्टी पर आदिवासियों की उपेक्षा का आरोप भी लगाए हैं।
प्रदेश के छिंदवाड़ा, शहडोल, मंडला और सीधी संसदीय क्षेत्रों में तो आदिवासी वर्ग का खासा प्रभाव रहा है। छिंदवाड़ा संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटें अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, परासिया और पांढुर्णा तो इस वर्ग के लिए आरक्षित है। इन सभी पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा भी है। वहीं में मंडला में आठ विधानसभा सीटों में सेष्शाहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, मंडला, लखनादौन छह विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। वहीं बालाघाट में दो सीटें बैहर और बरघाट सीट इस वर्ग के लिए आरक्षित है। जबकि शहडोल में सात विधानसभा सीटें जयसिंहनगर, जैतपुर, अनूपपुर, पुश्पराजगढ़, बांधवगढ़, मानपुर, बडवारा आरक्षित है। इसी तरह सीधी में तीन चितरंगी, धौहनी, ब्यौहारी और जबलपुर में एक सीहोरा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है।
भाजपा-कांग्रेस में रहता है कड़ा मुकाबला
विधानसभा चुनाव 2023 में अजजा के लिए आरक्षित 47 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही। भाजपा ने 25 सीटें जीतीं तो कांग्रेस ने भी 21 सीटों पर जीत हासिल की है। सिर्फ एक सीट सैलाना आदिवासी विकास पार्टी ने कांग्रेस से छीन ली। जबकि इसके पहले वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटें, भाजपा ने 16 और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। इस लिहाज से देखा जाए तो दोनों पार्टियों में आदिवासी सीटों पर कांटे की टक्कर रहती है।