भोपाल। खजुराहो संसदीय सीट पर भाजपा के प्रत्याशी विश्णुदत्त ष्शर्मा के खिलाफ कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं है, इसके बाद भी संगठन की बेचैनी बढ़ी हुई है। भाजपा यहां पर बड़े अंतर से जीत हासिल करना चाह रही है। यही उसकी बेचैनी का कारण भी है।
खजुराहो संसदीय सीट इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के खाते में दी गई थी। सपा ने यहां मीरा यादव को प्रत्याशी बनाया था, मगर उनका नामांकन निरस्त हो गया। इसके बाद गठबंधन के दलों ने यहां पर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी पूर्व आईएएस आरबी प्रजापति को समर्थन दिया है। इंडिया गठबंधन के इस कदम के बाद से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो से भाजपा प्रत्याशी वी डी ष्शर्मा की सक्रियता भी बढ़ी है। संगठन भी सक्रिय हुआ है। इसके पीछे मूल कारण है कि भाजपा किसी भी हालत में इस सीट को प्रदेश की अन्य सीटों की अपेक्षा अधिक से अधिक मार्जिन से जीतना चाह रही है। इसके चलते खुद शर्मा ने कार्यकर्ताओं की बैठकें लेना ष्शुरू किया। उन्होंने कार्यकर्ता को साफ संदेश भी दिया कि भले ही सामने मजबूत प्रत्याशी नहीं है, मगर हमें चुनाव की तरह ही यह चुनाव लड़ना है। अति आत्मविश्वास में नही रहे।
भाजपा की चिंता का कारण यह बताया जा रहा है कि पिछले साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम हैं। भाजपा ने आकलन किया है कि इस सीट की सभी आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस, सपा सहित अन्य दलों के मतों का अंतर देखें तो मात्र 60 हजार वोट ही भाजपा को अंधिक मिले हैं। यही वजह है कि पूरा संगठन इस अंतर को पाटने में जुटा है।
खजुराहो संसदीय सीट इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के खाते में दी गई थी। सपा ने यहां मीरा यादव को प्रत्याशी बनाया था, मगर उनका नामांकन निरस्त हो गया। इसके बाद गठबंधन के दलों ने यहां पर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी पूर्व आईएएस आरबी प्रजापति को समर्थन दिया है। इंडिया गठबंधन के इस कदम के बाद से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो से भाजपा प्रत्याशी वी डी ष्शर्मा की सक्रियता भी बढ़ी है। संगठन भी सक्रिय हुआ है। इसके पीछे मूल कारण है कि भाजपा किसी भी हालत में इस सीट को प्रदेश की अन्य सीटों की अपेक्षा अधिक से अधिक मार्जिन से जीतना चाह रही है। इसके चलते खुद शर्मा ने कार्यकर्ताओं की बैठकें लेना ष्शुरू किया। उन्होंने कार्यकर्ता को साफ संदेश भी दिया कि भले ही सामने मजबूत प्रत्याशी नहीं है, मगर हमें चुनाव की तरह ही यह चुनाव लड़ना है। अति आत्मविश्वास में नही रहे।
भाजपा की चिंता का कारण यह बताया जा रहा है कि पिछले साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम हैं। भाजपा ने आकलन किया है कि इस सीट की सभी आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस, सपा सहित अन्य दलों के मतों का अंतर देखें तो मात्र 60 हजार वोट ही भाजपा को अंधिक मिले हैं। यही वजह है कि पूरा संगठन इस अंतर को पाटने में जुटा है।