अकेला रामू टेकाम चला भाड़ फोडऩे यह सोच कर कि मैं अकेला ही
चला था जानिब.ए.मंजि़ल मगरए लोग साथ आते गए और कारवां बनते गया
बैतूल, हमारे देश में लोगो को सीख देने के लिए अनेक प्रकार की लोककथाए, मुहावरे, लोकोक्ति प्रचलन है। इन्ही प्रचलित लोकोक्तिमें से एक है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता… लेकिन एक अकेला सौ पर भारी पड़ जाए ऐसा कम ही देखने को मिलता है। इन दिनो बैतूल – हरदा- हरसूद संसदीय क्षेत्र क्रमांक 29 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान देखने को मिल रहा है उसके अनुसार विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के प्रत्याशी दुर्गादास उइके के सामने कांग्रेस का प्रत्याशी रामू टेकाम एक अकेला चना के समान बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में पहले दौर का चुनाव प्रचार लगभग खत्म हो चुका है। बैतूल में कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार अभियान में देखने को मिला है कि उसे चुनाव प्रचार में कांग्रेस के पूर्व विधायको से लेकर शीर्ष स्तर के नेताओ को वो सहयोग नहीं मिला जो उसे पिछले चुनाव में मिला था, इन सब परिस्थितियों के बावजूद रामू टेकाम चुनाव प्रचार में भाजपा पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। भैसदेही विधानसभा क्षेत्र के गांव – गांव तक सघन जन संपर्क का एक दौर पूरा कर चुके रामू टेकाम ने अपने ठेठ देहाती भाषा एवं रंग रूप में लोगो का दिन जीतने में सफलता पाई है। जहां एक ओर भाजपा में बैठको के दौरान भाजपा प्रत्याशी पार्टी कार्यकत्र्ता से लेकर पदाधिकारी तक सवाल – जवाब करले लगे है वहीं दुसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी की बातों को गांव का आम आदमी बड़े ध्यान से सुन रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त रामू टेकाम गोंडी भाषा में अपनी बात रखते हुए बार- बार अपने गरीब मजदूर का बेटा होने का अहसास करा कर आम लोगो के दिलो में जगह पा रहे है वही भाजपा प्रत्याशी से आम मतदाता बेहद चिढ़ा हुआ दिखाई देने लगा है। संसदीय क्षेत्र में धन बल बाहुबल के मुकाबले में सबसे पीछे रामू टेकाम का गांव – गांव तक पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। उसे अकसर स्थानीय कांग्रेस नेताओं और पूर्व विधायक की गैर मौजूदगी का सामना करना पड़ रहा है इसके बावजूद वह गांव – गांव तक अपनी बात को लेकर पहुंच रहा है। राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि रामू टेकाम के चुनाव में कांग्रेस का जमीनी कार्यकत्र्ता उसके साथ है लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेता और पार्टी पदाधिकारी किसी कोने में दुबके अवसर की तलाश में खड़े दिखाई दे रहे है। सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा है की रामू के प्रचार में किसी भी कांग्रेसी नेता को कोई स्थान या महत्व ही नही दिया जा रहा है। इससे असंतोष पनप रहा है। रामू टेकाम ने पूरे अभियान को खुद पर फोकस कर रखा है। इसकी बानगी उनकी वीडियो टीम द्वारा जारी किए जा रहे वीडियो में देखी जा सकती है। बैतूल में पिछले 19 मार्च को कांग्रेस का कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया था। तब से लेकर अब तक कांग्रेस प्रत्याशी रामू टेकाम के प्रचार अभियान में रामू न केवल पिछड़ते नजर आए है बल्कि हर जगह अकेले दिखाई दिए है। अधिकांश कांग्रेसी नेता रस्म अदायगी करते नजर आए है। हालाकि देर सबेर बैतूल विधानसभा के पूर्व विधायक निलय डागा को छोड़ कर भैंसदेही, घोड़ाडोंगरी,आमला के पूर्व विधायक अनमने मन से इक्का – दुक्का कार्यक्रम में नजर पड़ रहे है। आमला की पूर्व विधायक श्रीमती सुनीता बेले भाजपा मेें जा चुकी है। बताया जा रहा है कि बीते वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की शर्मनाक हार के लिए एक गुट दुसरे गुट को जिम्मेदार बता कर इस चुनावी महासंग्राम में भाग लेने के बजाय तमाशाबीन हो गया है। मुलताई एवं बैतूल के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई में अपने समर्थको द्वारा ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव अभियान की कमान पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे के हाथ में होने के कारण पांसे विरोधी उनके संग अपना तालमेल बना नहीं पा रहे है। राजनैतिक प्रेक्षकों के मुताबिक बैतूल के पूर्व विधायक निलय विनोद डागा एवं मुलताई के विधायक सुखदेव पांसे पूरे जिले की कांग्रेस राजनीति में अपना – अपना वर्चस्व कायम रखना चाहते है लेकिन वे सभी गुटों को न तो साध पा रहे हैं और न ही एकजुट कर पा रहे हैं। यही वजह है की पार्टी में बिखराव बढऩे लगा है। पिछले मार्च माह से रामू टेकाम ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी थी। जिसमें खासतौर पर वीडियो टीम के जरिए प्रचार अभियान के तहत आम लोगो के बीच जगह बनाना रहा है। यह टीम काम भी कर रही है। लेकिन इसमें जिस तरह पूरा फोकस कांग्रेस प्रत्याशी पर ही रखा गया है। वह अपने आप में तारीफे काबिल है क्योकि ऐसा करने से प्रत्याशी की सकारात्मक छबि बनने लगी है तथा उसके प्रति लोगो की साहनुभूति उसकी मददगार साबित होगी। रामू टेकाम की सोशल मीडिया टीम टीम न तो प्रचार में साथ जाने वाले नेताओं को दिखाती है और न ही उनके प्रयासों को प्रचारित कर रही है। ऐसे में उनका फोकस सिर्फ कांग्रेस प्रत्याशी को एक अच्छे नेता के रूप में पेश करना है। कांग्रेस के मुकाबले में मैदान में उतरी भाजपा के प्रत्याशी दुर्गादास उइके के संग पार्टी के विधायकों से लेकर चुनाव प्रबंधन संभाल रहे नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं। उनकी इस टीम के अलावा जिला संगठन भी अपने स्तर पर प्रत्याशी का प्रचार कर रहे है लेकिन उन सबके सामने समस्या यह आ रही है कि वे जवाब नहीं दे पा रहे है कि आखिर बीते पांच वर्षो में सासंद के द्वारा ऐसा कौन सा कार्य किया गया जिसके लिए उन्हे वोट दिया जाए…?