विरासत कर पर तेज हुआ सियासी संग्राम, भाजपा हमलावर है कांग्रेस पर

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कभी लगता था विरासत टैक्स, 1985 में कर दिया था समाप्त
भोपाल। लोकसभा चुनाव के दौरान सैम पित्रोदा के बयान के बाद विरासत कर को लेकर सियासी संग्राम गर्मा उठा है। भाजपा इसे लेकर रोजाना कांग्रेस पर हमला  कर रही है। हालांकि दुनिया के कई देशों में इसे लेकर नियम हैं, मगर भारत में 1985 में विरासत कर वसूलने के कानून को समाप्त कर दिया है। आज फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुरैना में इस कर को लेकर कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने कहा कि इस कर को राजीव गांधी ने अपनी संपत्ति बचाने के लिए खत्म किया था।
दरअसल राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन सरकार में आता है तो एक सर्वे कराया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है। राहुल गांधी के इसी बयान को लेकर सैम पित्रोदा ने सवाल किए थे। इसके जवाब में उन्होंने अमेरिका में लगने वाले विरासत टैक्स का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका में 80 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। पित्रोदा ने कहा था कि ’भारत में आपके पास ऐसा नियम नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। इसलिए लोगों को इस तरह के मुद्दों पर बहस और चर्चा करनी होगी।’ पित्रोदा ने कहा कि  ’यह एक नीतिगत मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी एक ऐसी नीति बनाएगी, जिसके माध्यम से धन का बांटना बेहतर होगा।’  इस बयान के बाद देश में सियासी संग्राम छिड़ गया है और इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
विवाद को देख कांग्रेस ने किया था खंडन
भाजपा हमलावर हुई तब कांग्रेस ने इसे लेकर खंडन किया। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि कांग्रेस के ’न्याय पत्र’ में ’विरासत कर’ का कोई जिक्र नहीं हैं। यह हमारा एजेंडा नहीं है। हकीकत ये है कि 1985 में राजीव गांधी जी ने विरासत कर को हटाया था। भाजपा के कई नेताओं ने साल 2014-19 के बीच में इसकी वकालत की थी और आज प्रधानमंत्री हम पर आरोप लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस के ’न्याय पत्र’ में ’धन पुनर्वितरण’ की बात हो रही है।  हमने न्याय पत्र में एक शब्द इस्तेमाल नहीं किया है, जो ’धन पुनर्वितरण’ की बात करता है। ये प्रधानमंत्री मोदी का झूठ नंबर 2 है।
 संपत्ति बचाने राजीव गांधी ने खत्म किया विरासत कानून
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुरैना में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए विरासत कर का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने अपनी संपत्ति बचाने के लिए विरासत कानून को खत्म किया था, ताकि संपत्ति सरकार के पास ना जाए। उन्होंने कहा कि विरासत कर से जुड़े तथ्य आंखें खोलने वाले हैं, जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु हुई, तो उनके बच्चों को उनकी संपत्ति मिलने वाली थी। पहले एक नियम था कि संपत्ति बच्चों को जाने से पहले उसका कुछ हिस्सा सरकार ले लेती थी। संपत्ति को बचाने के लिए ताकि वह सरकार के पास न जाए, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विरासत कानून को खत्म कर दिया।
विरासत टैक्स तो नेहरू परिवार पर लगना चाहिए
मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने इंदौर में कहा कि कांग्रेस विरासत टैक्स की बात करती है, लेकिन विरासत टैक्स तो सबसे पहले नेहरू परिवार पर ही लगाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेहरू जी की विरासत सबसे पहले इंदिरा गांधी के पास आई। उसके बाद बेटे राजीव गांधी और फिर बहू के पास आई। बहू ने पीछे से सरकार चलाई और अब पोते आ गए हैं। उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में चुनाव लड़ते हैं और कानून अमेरिका के लागू करने की बात करते हैं। विरासत कर सिर्फ़ उनके परिवार पर लगना चाहिए।
क्या है विरासत कर
विरासत कर विरासत में मिलने वाली संपत्ति पर लगता है। ये कर किसी व्यक्ति के निधन के बाद उसकी संपत्ति के बंटवारे पर लगता है। दुनिया में इसको लेकर अलग-अलग कानून और अलग-अलग कर वसूलने के नियम है। हमारे देश में संपत्ति शुल्क 1985 में समाप्त कर दिया गया। राजीव गांधी की सरकार में इसे खत्म किया गया था। 1980 के दशक के मध्य में दरें 85 फीसदी के शिखर पर पहुंच गईं थी। इसके तहत 1984-85 में 20 करोड़ का कर इसके तहत वसूला गया था। इसके अतिरिक्त, भारत ने 2015 में संपत्ति कर और 1998 में उपहार कर को समाप्त कर दिया। हालांकि भारत में एक विशिष्ट विरासत कर का अभाव है, विरासत में मिली संपत्तियों पर अभी भी आयकर का प्रभाव पड़ सकता है।

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