नि:सहाय वृद्धा के लिए उम्मीद की किरण बने डॉ. रूपेश पद्माकर
बैतूल। एक पुरानी हिन्दी फिल्म का गाना ”जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो” जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में पिछले तीन सप्ताह से भर्ती एक निसहाय वृद्धा पर चरितार्थ हो रहा है। सड़क दुर्घटना में जब वृद्धा के पैर की हड्डी दो जगह से टूट गई तो वृद्धा के इकलौते पुत्र ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कर माँ से किनारा कर लिया। ट्रामा सेंटर में भर्ती वृद्धा एक दिन ईश्वर को याद कर रो रही थी तभी उसका उपचार कर रहे जिला अस्पताल के डॉक्टर रूपेश पद्माकर ”धरती के भगवान” की उपाधि को चरितार्थ करते हुए उसके पास पहुंचे और रोने का कारण पूछा। वृद्धा ने अपनी कहानी बताई तो डॉ. पद्माकर भी हतप्रभ हो गए कि एक बेटा ऐसा कैसे कर सकता है? इसके बाद डॉ. पद्माकर ने वृद्धा का उपचार तो किया ही बल्कि उसे दिखाई नहीं देने पर जिला अस्पताल के ही नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद बर्डें से उसका मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी करवा दिया। पिछले ३ सप्ताह से डॉ. पद्माकर माँ की तरह उसकी देखरेख कर रहे है। वृद्धा भी डॉ. पद्माकर को सच्ची दुआएं दे रही है।
एक्सीडेंट में फ्रेक्चर हुआ पैर
जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भर्ती आठनेर थाना क्षेत्र के ग्राम आष्टी निवासी 65 वर्षीय वृद्धा समोती बाई पति श्यामराव काकोडिय़ा ने बताया कि उसके परिवार में एक मात्र पुत्र बबलू काकोडिय़ा है। समोती बाई ने बताया कि पिछले दिनों वह गांव के अन्य मजदूरों के साथ ईट भट्टे में मजदूरी करने महाराष्ट्र के अमरावती गई थी। लगभग एक माह पूर्व अमरावती में उसे एक जीप वाले ने टक्कर मार दी थी। जिसमें उसके पैर में गंभीर चोट लगी थी। साथी मजदूरों ने उसे अमरावती के अस्पताल में भर्ती करवा कर उसके पुत्र बबलू काकोडिय़ा को अमरावती बुलवाया।
जिला अस्पताल में छोड़कर चला
गया पुत्र
समोती बाई ने बताया अमरावती अस्पताल में उसके पुत्र ने दो-तीन दिन रखा और 14 अप्रैल को अमरावती से जिला अस्पताल में लाकर भर्ती करवा दिया। यहां ट्रामा सेंटर में भर्ती कर पुत्र बबलू काकोडिय़ा उसे अकेला छोड़कर अपने गांव चला गया। पैर में फ्रेक्चर होने के कारण वृद्धा पलंग से हट भी नहीं पा रही थी।
वृद्धा को रोते देख डॉ. पद्माकर ने ली सुध
बेटे द्वारा जिला अस्पताल में छोड़कर जाने पर वृद्धा टायलेट तक नहीं जा पा रही थी। बेटे के जाने के दूसरे दिन जिला अस्पताल में पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रूपेश पद्माकर वार्ड में गए तो वृद्धा समोती बाई रो रही थी। डॉ. पद्माकर ने उनसे रोने का कारण पूछा तो वृद्धा ने रोते हुए पुत्र के छोड़कर जाने की बात बताई। डॉ. पद्माकर ने असहाय वृद्धा के पुत्र की भूमिका निभाते हुए सबसे पहले उसका एक्स-रे करवाया जिसमें वृद्धा के दाहिने पैर की जांघ और पंजे में फे्रक्चर था।
डॉ. पद्माकर ने महिला को प्लास्टर चढ़ाया और वार्ड स्टाफ तथा वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों के परिजनों को वृद्धा की देखरेख करने, भोजन-चाय-नाश्ता की व्यवस्था करने के लिए कहा। इसी वार्ड में अपने पुत्र का उपचार करवा रही श्रीमती सोहरब धुर्वे ने वृद्धा की देखरेख, भोजन की व्यवस्था निभाई।
वृद्धा का करवाया मोतियाबिंद का ऑपरेशन
डॉ. रूपेश पद्माकर प्रतिदिन सुबह-शाम वृद्धा समोती बाई की देखरेख कर रहे थे। जिससे समोती बाई भी डॉ. पद्माकर से काफी घुलमिल गई और उन्हें बताया कि मेरी आंखों में भी दिखाई नहीं देता है। तब डॉ. पद्माकर ने जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद बर्डें को बुलवाकर वृद्धा की आंखे चेक करवाई। वृद्धा की दोनों आंखों में मोतियाबिंद था। डॉ. बर्डें ने जिला अस्पताल में 3 मई 2024 को वृद्धा समोती बाई की आंख का ऑपरेशन किया। अब उन्हें दिखाई भी देने लगा है। जिसके लिए वृद्धा डॉ. पद्माकर को दुआएं दे रही है। डॉ. पद्माकर की सहृदयात से पैर का उपचार करवाने आई वृद्धा की आंखों का भी ऑपरेशन हो गया।
इनका कहना
वृद्धा समोती बाई मेरे वार्ड में भर्ती थी। मैं राउण्ड लेने गया तो वह रो रही थी। जब मैने कारण पूछा तो उन्होंने बेटे द्वारा अकेला छोड़कर जाने की बात बताई जिससे मुझे व्यक्तिगत रूप से काफी पीड़ा हुई कि कोई बेटा जन्म देने वाली माँ के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है। इसके बाद मैने अपना फर्ज निभाते हुए वृद्धा का उचित उपचार किया वहीं उसकी आंख का ऑपरेशन भी करवा दिया जिससे वृद्धा अब अच्छे से देख सकती है।
डॉ. रूपेश पद्माकर
हड्डी रोग विशेषज्ञ,
जिला अस्पताल बैतूल