लोकसभा चुनाव पर दिख सकता है असर
भोपाल। राज्य में चौथे चरण के मतदान में आठ संसदीय सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें करीब आधा दर्जन सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी भूमिका का निर्वाह करते हैं। इनका सीधा असर खंडवा, खरगौन, उज्जैन, धार, इंदौर के अलावा मंदसौर संसदीय सीटों पर खासा दिखाई देता है। इस लिहाज से दोनों दल आदिवासी वर्ग के मतदाता के बाद इस वर्ग के मतदाता को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में 13 मई को इंदौर, उज्जैन, धार, मंदसौर, रतलाम-झाबुआ, खरगोन, खंडवा और देवास आठ संसदीय सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें अधिकांश सीटों पर आदिवासी वर्ग का खासा प्रभाव है। आदिवासी वर्ग के बाद करीब छह संसदीय सीटों पर मुस्लिम मतदाता खासा असर दिखाता है। इनमें खंडवा संसदीय सीट के अंतर्गत खंडवा, बुरहानपुर, खरगौन संसदीय सीट के अलावा उज्जैन, धार, मंदसौर, इंदौर लोकसभा सीटों पर भी मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या है। ये परिणामों पर असर डालते हैं। इसके चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अभी तक के चुनाव में इन क्षेत्रों में दोनों वर्ग आदिवासी और मुस्लिम वर्ग को साधते आ रहे हैं। कांग्रेस को कई बात दोनों वर्ग का साथ मिला है, मगर पिछले कुछ चुनाव से यह वर्ग बंटा हुआ था। इसके चलते कांग्रेस को नुकसान भी उठाना पड़ा। मगर इस बार कांग्रेस दोनों वर्ग के मतदाताओं को फोकस कर रणनीति के तहत काम कर रही है।
भोपाल। राज्य में चौथे चरण के मतदान में आठ संसदीय सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें करीब आधा दर्जन सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी भूमिका का निर्वाह करते हैं। इनका सीधा असर खंडवा, खरगौन, उज्जैन, धार, इंदौर के अलावा मंदसौर संसदीय सीटों पर खासा दिखाई देता है। इस लिहाज से दोनों दल आदिवासी वर्ग के मतदाता के बाद इस वर्ग के मतदाता को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में 13 मई को इंदौर, उज्जैन, धार, मंदसौर, रतलाम-झाबुआ, खरगोन, खंडवा और देवास आठ संसदीय सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें अधिकांश सीटों पर आदिवासी वर्ग का खासा प्रभाव है। आदिवासी वर्ग के बाद करीब छह संसदीय सीटों पर मुस्लिम मतदाता खासा असर दिखाता है। इनमें खंडवा संसदीय सीट के अंतर्गत खंडवा, बुरहानपुर, खरगौन संसदीय सीट के अलावा उज्जैन, धार, मंदसौर, इंदौर लोकसभा सीटों पर भी मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या है। ये परिणामों पर असर डालते हैं। इसके चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अभी तक के चुनाव में इन क्षेत्रों में दोनों वर्ग आदिवासी और मुस्लिम वर्ग को साधते आ रहे हैं। कांग्रेस को कई बात दोनों वर्ग का साथ मिला है, मगर पिछले कुछ चुनाव से यह वर्ग बंटा हुआ था। इसके चलते कांग्रेस को नुकसान भी उठाना पड़ा। मगर इस बार कांग्रेस दोनों वर्ग के मतदाताओं को फोकस कर रणनीति के तहत काम कर रही है।