इंदौर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि करीब चार वर्षों के बाद यह सम्मेलन पूरी भव्यता के साथ हुआ। अपने से आमने-सामने की मुलाकात का अपना अलग ही आनंद होता है। यहां मौजूद प्रत्येक प्रवासी भारतीय अपने देश की मिट्टी को नमन करने आया है। यह सम्मेलन में मध्य प्रदेश की उस धरती पर हो रहा है, जिसे देश का दिल कहा जाता है। मध्य प्रदेश में मां नर्मदा का जल, यहां की आदिवासी परंपरा, यहां का आध्यात्म। अभी हाल ही में भगवान महाकाल के महालोक का भी भव्य और दिव्य विस्तार हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे हम सभी जिस शहर में है वो भी अपने आप में अद्भुत है, लोग कहते हैं कि इंदौर एक शहर है और मैं कहता हूं कि इंदौर एक दौर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंदौरी नमकीन का स्वाद, यहां के पोहे, कचोरी, समोसे, शिकंजी। जिसने इसे चखा उसने कही और मुडकर नहीं देखा। 56 दुकान को प्रसिद्ध है ही, सराफा भी प्रसिद्ध है। इंदौर को कुछ लोग स्वाद की राजधानी भी कहते हैं। आप यहां का स्वाद जरूर लेंगे और अपने घर में जाकर दूसरों को भी बताएंगे। 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का औपचारिक उदघाटन सोमवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस अवसर पर गयाना और सूरीनाम के राष्ट्रपति भी मौजूद रहें। इंदौर में आयोजित हो रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया की निगाहें भारत पर हैं और दुनिया यह जानने के उत्सुक रहती है कि भारत क्या कर रहा है। वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत ने तरक्की की और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना। मोदी ने प्रवासियों को विदेशों में भारत का राष्ट्रदूत करार दिया। भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए भविष्य की संभावनाओं को भी रेखांकित किया।
इस बीच सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी ने भारत से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की अपील की और सुझाव दिए। उन्होंने अपने देश में स्किल सेंटर, तकनीक सेंटर और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोलने का प्रस्ताव दिया। प्रवासियों की भूमिका को सराहते हुए सूरीनाम की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए भारत के निजी क्षेत्र को भी आमंत्रित किया। गयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली ने भारत में अपनी पढ़ाई के बीते दौर को याद किया। उन्होंने कहा कि मैं खुश कि अपने पूर्वजों के जन्मस्थान पर आने का मौका मिला। कोरोना के संकटकाल में वैक्सीन भेजने के लिए भारत और प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद भी गयाना के राष्ट्रपति ने। उन्होंने भारत की सराहना करते हुए वैश्विक बिरादरी पर सवाल भी खड़े कर दिए। कहा कि जब कोरोना का दौर आया जो देश ग्लोबलाइजेशन की बात करते थे उन्होंने अपनी सीमाएं सील कर दी। उसके उलट भारत ने अपनी सीमाओं को नहीं खोला मुफ्त में वैक्सीन उपलब्ध कराई। राष्ट्रपति अली ने मंच से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे को भी बुलंद कियाा। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय विदेश मंत्री डा.एस जयशंकर, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी उपस्थित थे। चौहान ने मप्र की ओर से प्रवासियों और प्रधानमंत्री का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि 4 वर्षों बाद अपनों से आमने-सामने मिलने का अवसर प्राप्त हो रहा है। यह आनंद की बात है। दरअसल कोरोना संकट के कारण बीते वर्षों में प्रवासी सम्मेलन आयोजित नहीं हो सका। बीता सम्मेलन वर्चुअल हुआ था। मोदी ने देश के 130 करोड़ नागरिकों की ओर से प्रवासी मेहमानों का स्वागत भी किया। मप्र की खासियतों को गिनाते हुए मां नर्मदा के जल, प्रदेश के जंगल, आदिवासी संस्कृति और आध्यात्म की तारीख की। प्रवासियों से कहा कि वे इन सब का अनुभव लेने के साथ उज्जैन के महाकाल लोक को भी जरुर देखें। इंदौर को उन्हें अपने आप में अदभुत शहर कहा। मोदी बोले इंदौर शहर नहीं है एक दौर है। ये ऐसा शहर है जो समय से आगे भी चलता है और विरासत को भी समेटे रखता है। इंदौर के खान-पान का मंच से ही उल्लेख करते हुए तारीफ भी की।
मोदी के मंत्र
प्रधानमंत्री ने 24 मिनट से ज्यादा देर तक प्रवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ये प्रवासी सम्मेलन खास है क्योंकि आजादी के अमृतकाल में आयोजित हो रहा है। हम प्रवासियों को अलग-अलग देशों में उपलब्धियों के साथ देखते हैं तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत की तस्वीर साकार होती है। भारत की संस्कृति और शांति का संदेश के साथ आप लोकतंत्र की जन्मभूमि भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। प्रवासी विदेशी धरती पर भारत के राष्ट्रदूत हैं। प्रधानमंत्री ने प्रवासियों को विदेशों में भारती की संस्कृति, योग, कला के साथ मोटे अनाज (मीलेट्स)का प्रचार करने का आव्हान भी किया। मोदी ने कहा कि भारत में अब विश्व का नालेज सेंटर ही नहीं स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य रखता है।
इसलिए भारत पर निगाह
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे विश्व की भारत पर निगाह और उत्सुकता है कि भारत क्या करने जा रहा है। इसकी भी वजहें हैं। वैश्विक कठिन दौर में भारत में निःशुल्क 220 करोड़ वैक्सीन दिए। वैश्विक अस्थिरता में आर्थिक तरक्की की। सबसे बड़ा स्टार्ट अप इको सिस्टम बन चुका है। इलैक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग हब बन गया है। तेजस जैसे विमान और अरिहंत जैसी नाभिकिय पनडुब्बी हम बना रहे हैं। कैशलेस इकोनामी बन चुके हैं। हर दिन दुनिया के 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हो रहे हैं। वैश्विक मंच पर अब भारत की बात अलग मायने रखती है। यह भारत का बढ़ता सामर्थ्य प्रदर्शित करता है। इसी के चलते दुनिया में भारत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है।
अप्रवासियों की जिम्मेदारी बढ़ी
मोदी ने प्रवासियों से कहा कि क्योंकि भारत का सामर्थ्य बढ़ा है इसलिए प्रवासियों की जिम्मेदारी भी बढ़ गई हैं। उन्हें देश की प्रगति को लेकर अपडेट रहना होगा। भारत इस वर्ष जी-20 देशों की अध्यक्षता भी कर रहा है। उनके यहां से जो भी मेहमान आए उसे भारत के बारे में बताएं और जानकारी दें। उन्होंने भारत के नागरिकों से कहा कि जी-20 का आयोजन सिर्फ राजनायिक बैठक नहीं है बल्कि भारत की अतिथि देवो भवः की परंपरा से विश्व को अवगत कराने का अवसर है। ऐसी पीढ़ी जो भारत के बाहर जन्मी है उन्हें भी भारत के बारे में जानकारी दी जाए।