भोपाल। प्रदेश में मानसून दस्तक देने को है और किसान खरीफ फसल की बोवनी की तैयारी में है। इस समय किसानों को बीज की जरूरत है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने किसानों को बीज न मिलने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार बीज का इंतजाम करना ही भूल गई है।
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने एक बयान जारी कर कहा है कि किसान बीज के लिए भटक रहा है और सरकार चुनावों के बाद हार जीत के गणित में लगी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मालवा निमाड़ का किसान कपास के बीज के लिए अभी से भटक रहा है। प्रदेश भर की बात करें तो धान, सोयाबीन, मक्का, बाजरा, ज्वार, कोदो, कुटकी, तुअर और उड़द की फसलों के लिए किसानों को बीज चाहिए और सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी है। माकपा नेता ने पिछले सालों की तैयारी का जिक्र करते हुए कहा है कि हद तो यह है कि नियमानुसार अप्रैल के अंत तक ही कृषि विभाग यह योजना बना लेता है कि इस वर्ष खरीफ की कौन-कौन सी फसल के लिए क्या लक्ष्य रखा गया है। उस रकबे के अनुसार ही बीज की व्यवस्था की जाती है।
माकपा ने कहा कि प्रदेश में नई सरकार गठन के बाद अभी तक कृषि विभाग खरीफ की फसलों के लिए लक्ष्य ही निर्धारित नहीं कर पाया है। सिंह ने नकली बीज बेचने वाली कंपनियों की चांदी होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे सिर्फ किसानों के लिए बीज की अफरा-तफरी ही नहीं मचेगी, बल्कि नकली बीज बेचने वाली कंपनियों का कारोबार भी पनपेगा।
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने एक बयान जारी कर कहा है कि किसान बीज के लिए भटक रहा है और सरकार चुनावों के बाद हार जीत के गणित में लगी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मालवा निमाड़ का किसान कपास के बीज के लिए अभी से भटक रहा है। प्रदेश भर की बात करें तो धान, सोयाबीन, मक्का, बाजरा, ज्वार, कोदो, कुटकी, तुअर और उड़द की फसलों के लिए किसानों को बीज चाहिए और सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी है। माकपा नेता ने पिछले सालों की तैयारी का जिक्र करते हुए कहा है कि हद तो यह है कि नियमानुसार अप्रैल के अंत तक ही कृषि विभाग यह योजना बना लेता है कि इस वर्ष खरीफ की कौन-कौन सी फसल के लिए क्या लक्ष्य रखा गया है। उस रकबे के अनुसार ही बीज की व्यवस्था की जाती है।
माकपा ने कहा कि प्रदेश में नई सरकार गठन के बाद अभी तक कृषि विभाग खरीफ की फसलों के लिए लक्ष्य ही निर्धारित नहीं कर पाया है। सिंह ने नकली बीज बेचने वाली कंपनियों की चांदी होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे सिर्फ किसानों के लिए बीज की अफरा-तफरी ही नहीं मचेगी, बल्कि नकली बीज बेचने वाली कंपनियों का कारोबार भी पनपेगा।